धर्म क्या हैं ? मानव धर्म की परिभाषा || Kosare Maharaj ||
धर्म क्या है जीवन का शाश्वत मूल हैं हम सभी जानते हैं एक व्यापक अवधारणा है जो धार्मिकता, नैतिकता और कर्तव्य के सार्वभौमिक सिद्धांतों को संदर्भित करता है. यह ब्रह्मांड को नियंत्रित करने वाला एक नियम है और मनुष्यों को अपने विचारों, शब्दों और कार्यों में इसके सिद्धांतों का पालन करना चाहिए. कुछ लोग धर्म को मानव धर्म के रूप में भी देखते हैं, जो सभी मनुष्यों को एकजुट करता है.
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मानव धर्म:
कुछ लोग धर्म को मानव धर्म के रूप में भी देखते हैं, जो सभी मनुष्यों को एकजुट करता है
धर्म का अर्थ धार्मिक मान्यता से नहीं हैं बल्कि हमारे कर्तवय से हैं जैसे ही हम किसी से प्रश्ना करते हैं सामने वाला तपाकसे बोल उठता हैं की पहले आप अपना धर्म निभाव उसके बाद किसी पर सवाल उठाना वे कहना चाहते हैं की पहले अपना काम ठीक से करो फिर दोसरो पर कार्य न करने का आरोप लगाओ मकसद यह हैं की एक दूसरे के धर्म पर खड़े उतरने की मांग करते रहते हैं बिना यह सोचे वास्तव में धर्म क्या हैं उसकी हमारे जीवन में कितनी भूमिका हैं एक वयक्ति का समाज में क्या धर्म हैं एक पति या पत्नी का एक दूसरे के प्रति क्या धर्म हैं धर्म के कितने स्वरुप हो सकते सकते हैं जैसे की धर्म के अनेक पहलू हैं पर सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह हैं की वे सबकुछ जुमेदार बनाने की बात करता हैं जो भी इस संसार में हैं उसका एक धर्म होता हैं धर्म के लिए पेड़ का धर्म हैं छाया और फल देना नदी का धर्म हैं जीवनदायी जल लेकर बहते रहना बदलो का धर्म हैं जल को बरसाना सूर्य का धर्म हैं प्रकाश देना इसी प्रकार मनुष्य का धर्म हैं उदार हों सदाचारी होना सदव्यवहारी होना मनुष्य का एक मात्र धर्म हैं प्राणी मात्र के प्रति उदारता का व्यवहार इसी लिए भारत में कर्म से अधिक महत्व सदाचार को दिया जाता हैं सदव्यवहार ही धर्म हैं क्यों की सदव्यवहार में कर्म धर्म निति ज्ञान सब सम्मिलित हैं धर्म के अनेक रूप और प्रकार होते हैं
जैसे की मनुष्य एक अच्छा आचरण जो सभी मनुष्यों के लिए सुख और शांति लेकर आता हैं । फिर इसमें दया, सत्य, और न्याय जैसे गुणों का भी समावेश होता है। यह धर्म व्यक्ति के जीवन को एक सार्थक उद्देश्य देता है और समाज में सकारात्मक योगदान करने में काफी मदद करता है.
मानव धर्म की सही परिभाषा:
दया और करुणा:
दूसरों की भावनाओं को समझना और उनके साथ सहानुभूति रखना.
सत्य और ईमानदारी:
सच्चाई का पालन करना और झूठी बातें न करना.
न्याय और समानता:
सभी के साथ समान व्यवहार करना और किसी के साथ भेदभाव न करना.
स्वच्छता और पवित्रता:
शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध रहना.
सेवा और प्रेम:
दूसरों की सेवा करना और प्रेम से व्यवहार करना.
मानव धर्म से आप क्या समझते हैं :
मानव धर्म उस सर्वप्रिय, सर्वश्रेष्ठ और सर्वहितैषी स्वच्छ व्यवहार को माना गया है जिसका अनुसरण करने से सबको प्रसन्नता एवं शांति प्राप्त हो सके। धर्म वह मानवीय आचरण है जो अलौकिक कल्पना पर आधारित है और जिनका आचरण श्रेयस्कर माना जाता है।
धर्म की असली परिभाषा क्या है :
इसमें कर्तव्य, अधिकार, कानून , आचरण, गुण और "जीवन जीने का सही तरीका" शामिल है। अपने वास्तविक सार में, धर्म का अर्थ हिंदू के लिए "मन का विस्तार करना" है। इसके अलावा, यह व्यक्ति और सामाजिक घटनाओं के बीच सीधे संबंध का प्रतिनिधित्व करता है जो समाज को एक साथ बांधते हैं।
इंसान धर्म क्या है:
एक मनुष्य का दूसरे मनुष्य के प्रति जो धर्म होता है वह मानवता का धर्म होता है। किसी भी मनुष्य का अपने परिवार, अपने कुल और अपने समाज के प्रति बहुत से धर्म होते हैं जिनको निभाकर कोई भी मनुष्य मुक्ति तक पहुंच सकता है क्योंकि धर्म के मार्ग पर चलने का मतलब होता है सत्य के मार्ग पर चलना।
सभी धर्मों के पिता कौन हैं:
सभी धर्मों का पिता परमपिता परमात्मा को माना जाता है, जो निराकार, सर्वशक्तिमान और सबके लिए एक है. कुछ धर्मों में, इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कि अल्लाह (इस्लाम में ), भगवान (हिन्दू धर्म में ), या ईश्वर (ईसाई धर्म में ), लेकिन सभी इसे सर्वोच्च शक्ति के रूप में ही मानते हैं.
मानव धर्म कितने हैं:
जबकि दुनिया में लगभग 10,000 अलग-अलग धर्म हैं, वैश्विक आबादी का तीन-चौथाई से अधिक हिस्सा इन चार में से किसी एक धर्म का पालन करता है - ईसाई धर्म (31%), इस्लाम (24%), हिंदू धर्म (15%), और बौद्ध धर्म (7%)
धर्म का मूल क्या है:
धर्म का मूल, विभिन्न धर्मों और दर्शनों में, अलग-अलग हो सकता है। कुछ प्रमुख मूल सिद्धांत हैं:
अहिंसा:
यह सिद्धांत सभी धर्मों में पाया जाता है, और इसका अर्थ है किसी को भी चोट या नुकसान न पहुंचाना, चाहे वह मनुष्य हो, जानवर हो, या कोई अन्य जीवित प्राणी।
सत्य:
यह सिद्धांत विभिन्न धर्मों में पाया जाता है, और इसका अर्थ है सत्य बोलना, ईमानदारी से व्यवहार करना, और झूठा व्यवहार न करना।
दया:
यह सिद्धांत भी विभिन्न धर्मों में पाया जाता है, और इसका अर्थ है दूसरों के प्रति दयालु और करुणावान होना, और उनकी मदद करना।
सृष्टि के साथ सामंजस्य:
यह सिद्धांत कुछ धर्मों में पाया जाता है, और इसका अर्थ है प्रकृति और सृष्टि के साथ सामंजस्य बनाए रखना, और किसी भी सजीव या निर्जीव को हानि नहीं पहुंचाने वाला व्यवहार करना।
स्वयं को जानना:
कुछ धर्मों में, धर्म का मूल स्वयं को जानने, अपनी आत्मा को समझने, और अपने परम उद्देश्य को जानने में निहित है।
उदाहरण के लिए, हिंदू धर्म में, धर्म का मूल ब्रह्माण्ड के नियमों का पालन करना, अपने कर्तव्य का पालन करना, और मोक्ष प्राप्त करना है। बौद्ध धर्म में, धर्म का मूल कष्टों से मुक्ति पाना, और सही मार्ग पर चलना है। इस्लाम में, धर्म का मूल अल्लाह की आज्ञा का पालन करना, और शांति से जीवन जीना है। ईसाई धर्म में, धर्म का मूल ईश्वर से प्रेम करना, और दूसरों के साथ दया और करुणा से व्यवहार करना है।
इन सिद्धांतों के अलावा, धर्म का मूल विभिन्न संस्कृतियों, ऐतिहासिक संदर्भों, और व्यक्तिगत विश्वासों के आधार पर भी भिन्न हो सकता है।
कर्म:
धर्म कर्म के सिद्धांत से भी जुड़ा हुआ है, जो बताता है कि हमारे कर्मों का हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता है. मानव धर्म:
कुछ लोग धर्म को मानव धर्म के रूप में भी देखते हैं, जो सभी मनुष्यों को एकजुट करता है.
कर्म योग: कर्म योग, धर्म का एक और पहलू है जो हमें आसक्ति रहित होकर अपने कर्तव्यों का पालन करने की शिक्षा देता है.
कार्यालयीन पत्ता :
नेहा अपार्टमेंट फ्लैट नंबर २०२, दूसरा मजला, उमरेड रोड, रामकृष्ण नगर, नागपुर-४४००३४.
कोसारे महाराज 👉 संस्थापक ( राष्ट्रीय अध्य्क्ष )
मानव हित कल्याण सेवा संस्था नागपुर ( महाराष्ट्र प्रदेश )
राष्ट्रीय जनता दल ( महासचिव महाराष्ट्र )
अधिक जानकारी के लिए फोन संपर्क 📲 ९४२१७७८५८८ / ९४२२१२७२२१
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