समाज सेवा तिजोरी खोल कर नहीं बल्कि दिल खोलकर की जाती हैं उस समाज सेवा का कोई औचित्य नहीं जो जबरदस्ती बोल कर की जाती हैं

हर वर्ग हर जाति हर धर्म से लगाव चाहिए जनसेवा के लिए समर्पण का भाव चाहिए जब दिल करता है जुड़ जाते हैं समाज सेवा में और नेताओं को समाज सेवा के लिए चुनाव चाहिए समाज सेवा तिजोरी खोल कर नहीं बल्कि दिल खोलकर की जाती हैं उस समाज सेवा का कोई औचित्य नहीं जो जबरदस्ती बोल कर की जाती हैं प्रसिद्धि के लिए समाज सेवा नहीं बल्कि समाज सेवा से प्रसिद्धि होनी चाहिए जो समाज सेवा करता है वो भी संसार में पूजनीय होता है भले झुकाओ सर ईश्वर अल्लाह ईसा मसीह के दर पर  मगर वो समाज सेवक भी जहाँ वंदनीय होता है
( कोसारे महाराज )

Post a Comment

0 Comments